DGCA की ऑडिट ने उजागर किए भारत के प्रमुख हवाई अड्डों पर सुरक्षा उल्लंघन?

DGCA की ऑडिट ने उजागर किए भारत के प्रमुख हवाई अड्डों पर सुरक्षा उल्लंघन?

भारत के नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने हाल ही में देश के प्रमुख हवाई अड्डों पर एक व्यापक ऑडिट किया, जिसमें कई गंभीर सुरक्षा उल्लंघन सामने आए हैं। दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े हवाई अड्डों पर हुए इस ऑडिट में कई कमियां पाई गईं, जैसे कि विमानों के टायरों का घिसा होना, रनवे की मार्किंग का फीका पड़ना, और तारमैक पर बिना स्पीड गवर्नर के वाहनों का संचालन। इन खामियों ने भारत के एविएशन सिस्टम की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। DGCA ने सभी संबंधित पक्षों को सात दिनों के भीतर सुधारात्मक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इस लेख में हम इस ऑडिट के निष्कर्षों, इसके प्रभावों, और भविष्य में हवाई यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

यह ऑडिट हाल ही में अहमदाबाद में हुए एक दुखद हवाई दुर्घटना के बाद शुरू किया गया था, जिसमें 241 यात्रियों और कई अन्य लोगों की जान चली गई थी। इस घटना ने एविएशन सेक्टर में सुरक्षा मानकों की अहमियत को फिर से उजागर किया है। DGCA की दो टीमें, जो संयुक्त महानिदेशकों के नेतृत्व में थीं, ने दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGIA) और मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (CSMIA) पर गहन निरीक्षण किया। इस दौरान उड़ान संचालन, हवाई योग्यता, रैंप सुरक्षा, एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC), और प्री-फ्लाइट मेडिकल चेक जैसे क्षेत्रों की जांच की गई। ऑडिट में पाया गया कि कई विमानों में बार-बार दोहराई जाने वाली खामियां थीं, जो अपर्याप्त निगरानी और मरम्मत की कमी को दर्शाती हैं। यह स्थिति न केवल यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि पूरे एविएशन सेक्टर की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाती है।

ऑडिट में सामने आईं प्रमुख खामियां

DGCA के ऑडिट में कई ऐसी खामियां सामने आईं, जो सामान्य सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करती हैं। उदाहरण के लिए, कुछ विमानों के टायर इतने घिसे हुए थे कि उन्हें उड़ान भरने से पहले रोका गया और टायर बदलने के बाद ही उड़ान की अनुमति दी गई। इसके अलावा, रनवे की सेंटर लाइन मार्किंग के फीके होने की समस्या भी पाई गई, जो पायलटों के लिए रनवे पर सही दिशा में उड़ान भरने और उतरने में महत्वपूर्ण होती है। एक अन्य गंभीर मुद्दा यह था कि तारमैक पर कई वाहनों में स्पीड गवर्नर नहीं थे, जो हवाई अड्डे पर सुरक्षित संचालन के लिए अनिवार्य हैं। इन वाहनों को तुरंत हटाया गया और उनके ड्राइवरों के परमिट निलंबित कर दिए गए।

इसके साथ ही, कुछ हवाई अड्डों पर ऑब्स्ट्रक्शन लिमिटेशन डेटा को तीन साल से अपडेट नहीं किया गया था, और आसपास के नए निर्माण कार्यों के बावजूद कोई सर्वेक्षण नहीं किया गया। यह एक गंभीर चूक है, क्योंकि हवाई अड्डों के आसपास की बाधाएं विमानों की उड़ान और लैंडिंग के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं। ऑडिट में यह भी पाया गया कि कुछ सिम्युलेटर विमान कॉन्फिगरेशन से मेल नहीं खाते थे और उनका सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं था। ये सभी खामियां एविएशन सिस्टम में कमजोर निगरानी और रखरखाव की कमी को दर्शाती हैं। DGCA ने इन सभी मुद्दों को संबंधित ऑपरेटरों को सूचित किया है और सात दिनों के भीतर सुधारात्मक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

एविएशन सेक्टर में सुरक्षा का महत्व

हवाई यात्रा में सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। यात्रियों का भरोसा और एविएशन उद्योग की विश्वसनीयता इस बात पर निर्भर करती है कि सुरक्षा मानकों का कितनी सख्ती से पालन किया जाता है। DGCA का यह ऑडिट भारत के तेजी से बढ़ते एविएशन सेक्टर में मौजूदा कमियों को उजागर करता है। हाल के वर्षों में भारत में हवाई यात्रा की मांग में भारी वृद्धि हुई है, जिसके कारण हवाई अड्डों और एयरलाइनों पर दबाव बढ़ा है। लेकिन इस वृद्धि के साथ-साथ सुरक्षा मानकों को बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है।

DGCA ने स्पष्ट किया है कि सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। ऑडिट के दौरान पाए गए उल्लंघनों को गंभीरता से लिया गया है, और संबंधित पक्षों को तुरंत सुधार करने के लिए कहा गया है। यह ऑडिट न केवल मौजूदा समस्याओं को ठीक करने का प्रयास है, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक रणनीति भी तैयार करता है। उदाहरण के लिए, ऑडिट में पाया गया कि कुछ विमानों में बार-बार दोहराई जाने वाली खामियां थीं, जो यह दर्शाता है कि मरम्मत और निगरानी की प्रक्रिया में कमी है। यह स्थिति न केवल यात्रियों के लिए जोखिम भरी है, बल्कि एयरलाइनों की परिचालन दक्षता को भी प्रभावित करती है।

DGCA का नया ऑडिट फ्रेमवर्क

DGCA ने हाल ही में एक नए ऑडिट फ्रेमवर्क की शुरुआत की है, जिसे ‘360-डिग्री ऑडिट’ कहा जा रहा है। यह फ्रेमवर्क पुराने साइलो-आधारित निरीक्षणों को बदलने के लिए बनाया गया है, जो अलग-अलग विभागों द्वारा अलग-अलग क्षेत्रों की जांच करते थे। नया फ्रेमवर्क पूरे एविएशन इकोसिस्टम की समग्र जांच करता है, जिसमें उड़ान संचालन, हवाई योग्यता, रैंप सुरक्षा, और एयर ट्रैफिक कंट्रोल जैसे सभी पहलू शामिल हैं। इस ऑडिट का उद्देश्य जोखिम-आधारित दृष्टिकोण के साथ कमजोरियों को पहले ही पहचानना और उन्हें ठीक करना है।

यह नया दृष्टिकोण अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (ICAO) के मानकों के अनुरूप है और भारत के एविएशन सेक्टर को और अधिक सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ऑडिट में विशेषज्ञों की मल्टी-डिसिप्लिनरी टीमें शामिल हैं, जो उड़ान मानकों, हवाई सुरक्षा, और हवाई नेविगेशन सेवाओं जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखती हैं। यदि जरूरी हुआ, तो उद्योग के बाहरी विशेषज्ञों को भी शामिल किया जा सकता है ताकि अधिक गहन और विश्वसनीय निष्कर्ष प्राप्त किए जा सकें। यह फ्रेमवर्क न केवल मौजूदा कमियों को ठीक करने में मदद करेगा, बल्कि भविष्य में होने वाली संभावित समस्याओं को भी रोकेगा।

एयर इंडिया पर विशेष ध्यान

हाल ही में अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया के बोइंग 787 ड्रीमलाइनर हादसे के बाद DGCA ने एयर इंडिया पर विशेष ध्यान दिया है। इस हादसे में 241 यात्रियों और कई अन्य लोगों की जान चली गई थी, जिसके बाद एयरे इंडिया की सुरक्षा प्रक्रियाओं पर सवाल उठे हैं। DGCA ने एयर इंडिया के गुरुग्राम स्थित मुख्य बेस पर एक विस्तृत ऑडिट शुरू किया है, जिसमें उड़ान संचालन, क्रू शेड्यूलिंग, और हवाई योग्यता जैसे क्षेत्रों की जांच की जा रही है। ऑडिट में पाया गया कि एयर इंडिया ने कुछ मामलों में आपातकालीन उपकरणों की जांच में देरी की थी, जो सुरक्षा मानकों का उल्लंघन है।

DGCA ने एयर इंडिया को तीन वरिष्ठ अधिकारियों को उनके क्रू শিড्यूলिंग और रोस्टरिंग की भूमिकाओं से हटाने का आदेश दिया है। इसके अलावा, एयरलाइन को अपने बोइंग 787 ड्रीमलाइनर बेड़े की अतिरिक्त जांच करने के लिए कहा गया है। हालांकि, इन जांचों में कोई बड़ी खामी नहीं पाई गई, लेकिन रखरखाव और स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता जैसे क्षेत्रों में सुधार की जरूरत बताई गई है। एयर इंडिया ने DGCA के निर्देशों का पालन करने की प्रतिबद्धता जताई है और कहा है कि वह सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करेगा।

हवाई अड्डों पर रखरखाव की समस्याएं

DGCA के ऑडिट में हवाई अड्डों पर रखरखाव से संबंधित कई समस्याएं सामने आईं। उदाहरण के लिए, कुछ ग्राउंड हैंडलिंग उपकरण, जैसे कि बैगेज ट्रॉली, खराब हालत में पाए गए। इसके अलावा, रखरखाव स्टोर में उपकरण नियंत्रण प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया जा रहा था। कुछ मामलों में, विमान रखरखाव के दौरान कार्य आदेशों का पालन नहीं किया गया, और थ्रस्ट रिवर्सर सिस्टम और फ्लैप स्लैट लीवर को लॉक नहीं किया गया था। यह गंभीर चूक यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है।

ऑडिट में यह भी पाया गया कि कुछ विमानों में लाइफ वेस्ट ठीक ढंग से सुरक्षित नहीं थे, और एक विमान के दाहिने विंगलेट पर जंग-रोधी टेप क्षतिग्रस्त था। इन समस्याओं को तुरंत ठीक करने के लिए DGCA ने संबंधित ऑपरेटरों को निर्देश दिए हैं। इसके अलावा, हवाई अड्डों पर रैंप क्षेत्र में कई वाहनों में स्पीड गवर्नर नहीं होने की समस्या भी सामने आई। इन वाहनों को तुरंत हटाया गया और उनके ड्राइवरों के परमिट निलंबित किए गए। ये सभी खामियां यह दर्शाती हैं कि हवाई अड्डों पर रखरखाव और निगरानी की प्रक्रियाओं में सुधार की जरूरत है।

भविष्य में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम

DGCA ने स्पष्ट किया है कि वह भविष्य में ऐसी कमियों को रोकने के लिए निरंतर निगरानी और ऑडिट जारी रखेगा। इस ऑडिट के निष्कर्षों को संबंधित ऑपरेटरों को सूचित किया गया है, और उन्हें सात दिनों के भीतर सुधारात्मक कदम उठाने के लिए कहा गया है। इसके अलावा, DGCA ने एक नया ‘360-डिग्री ऑडिट’ फ्रेमवर्क शुरू किया है, जो पूरे एविएशन इकोसिस्टम की समग्र जांच करता है। यह फ्रेमवर्क जोखिम-आधारित दृष्टिकोण अपनाता है और कमजोरियों को पहले ही पहचानने पर ध्यान देता है।

DGCA ने यह भी कहा है कि वह नियमित और आकस्मिक निरीक्षणों को बढ़ाएगा ताकि एविएशन सेक्टर में सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन हो। इसके लिए मल्टी-डिसिप्लिनरी टीमें बनाई गई हैं, जो उड़ान मानकों, हवाई सुरक्षा, और हवाई नेविगेशन सेवाओं जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखती हैं। यदि जरूरी हुआ, तो उद्योग के बाहरी विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाएगा। यह नया दृष्टिकोण भारत के एविएशन सेक्टर को और अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने में मदद करेगा।

यात्रियों के लिए इसका क्या मतलब है

यात्रियों के लिए DGCA के इस ऑडिट का मतलब है कि उनकी सुरक्षा को और अधिक प्राथमिकता दी जा रही है। हाल के हादसों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि एविएशन सेक्टर में सुरक्षा मानकों का पालन कितना जरूरी है। DGCA के इस कदम से यात्रियों का भरोसा बढ़ेगा कि उनकी यात्रा सुरक्षित होगी। हालांकि, ऑडिट में पाई गई कमियां यह भी दर्शाती हैं कि अभी बहुत कुछ सुधार करने की जरूरत है।

यात्रियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे जिस एयरलाइन से यात्रा कर रहे हैं, वह DGCA के सुरक्षा मानकों का पालन करती है। इसके अलावा, यात्रियों को हवाई अड्डों पर सुरक्षा प्रक्रियाओं के बारे में जागरूक रहना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आपको विमान में लाइफ वेस्ट या अन्य आपातकालीन उपकरणों में कोई कमी दिखे, तो तुरंत क्रू मेंबर्स को सूचित करें। DGCA के इस ऑडिट से यह स्पष्ट है कि सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा, और यात्रियों को भी अपनी सुरक्षा के लिए सतर्क रहना चाहिए।

भारत के एविएशन सेक्टर का भविष्य

भारत का एविएशन सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है, और यह दुनिया के सबसे बड़े हवाई यात्रा बाजारों में से एक बनने की ओर अग्रसर है। लेकिन इस वृद्धि के साथ-साथ सुरक्षा मानकों को बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है। DGCA के इस ऑडिट ने उन कमियों को उजागर किया है, जो अगर समय रहते ठीक नहीं की गईं, तो भविष्य में गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती हैं। नया ‘360-डिग्री ऑडिट’ फ्रेमवर्क इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है, जो पूरे एविएशन इकोसिस्टम की समग्र जांच करता है।

भविष्य में, DGCA को नियमित और आकस्मिक निरीक्षणों को और बढ़ाना होगा ताकि सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन हो। इसके अलावा, एयरलाइनों और हवाई अड्डों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और रखरखाव और निगरानी प्रक्रियाओं में सुधार करना होगा। भारत का एविएशन सेक्टर तभी विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना पाएगा, जब वह सुरक्षा और विश्वसनीयता के मामले में कोई समझौता नहीं करेगा।

निष्कर्ष: सुरक्षा पहले, हमेशा

DGCA का यह ऑडिट भारत के एविएशन सेक्टर में सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम है। इसने उन कमियों को उजागर किया है, जो यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डाल सकती हैं। फीके रनवे मार्किंग से लेकर घिसे हुए टायरों तक, ये सभी समस्याएं यह दर्शाती हैं कि रखरखाव और निगरानी में सुधार की जरूरत है। DGCA का नया ‘360-डिग्री ऑडिट’ फ्रेमवर्क और निरंतर निगरानी इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है।

यात्रियों, एयरलाइनों, और हवाई अड्डों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि सुरक्षा हमेशा पहले आए। DGCA ने स्पष्ट कर दिया है कि सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं होगा, और गैर-अनुपालन के लिए कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह ऑडिट न केवल मौजूदा कमियों को ठीक करने का अवसर है, बल्कि भारत के एविएशन सेक्टर को और अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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